CTET NCERT EVS CHAPTER 1, Day 3rd

  Hello दोस्तों, अब CTET की तैयारी करना होगा और भी आसान क्यूंकि अब यहाँ आपको मिलेंगा NCERT की सभी किताब का निचोड़, वो भी चैप्टर वाइज |

तो कल हमने भारत में पाए जाने वाले विभिन्न जानवरों व् उनसे सम्बंधित कुछ खास तथ्य के बारे में बातें की थी आज उसी के आगे से शुरू करते हैं अगर अपने वो चैप्टर नही पढ़ा है तो पहले उसे जरुर पढ़े

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CHAPTER - 1, Day 3rd

बीज / Seed –

  • बीजों को प्राचीन समय मे सूखी लौकी में रखकर उस पर मिट्टी का लेप कर देते थे और नीम की पत्तियां इन्हें कीड़ों से बचाती थी |
  • पौधे स्वयं भी अपने बीजो को दूर फेंक देते हैं और कपड़ों में चिपक कर तथा पानी के जरिए भी ये एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाते हैं |
  • सोयाबीन की फलियां पककर फट जाती है और उसमें से बीज बाहर निकल जाते है |
  • कालीमिर्च, सौंफ, गेंह आदि बीज होते है
  • नाशपाती, भिंडी, करेला, खीरा,टमाटर, चीकू आदि में बीज होता है |
  • मिट्टी में गोबर मिलाने से मिट्टी में कीड़ा नहीं लगता |

फसल / Crop –

  • एक ही प्रकार की फसल उगाने से और कई केमिकल्स को यूज करने से जमीन बंजर हो जाती है |

क्रोटोन पौधे / Croton plant –

  •  क्रोटोन पौधे जमीन के बारे में उसकी दशा को बता देते हैं यानी सिग्नल दे देते है |
  • क्रोटोन पौधे की जड़ जमीन में ज्यादा गहरी नहीं जाती है जब मिट्टी सूखने लगती है तो इस पौधे की पत्तियां सूखने लगती है और झड़ने लगती है जिससे मिट्टी का पता चल जाता है कि मिट्टी सूख रही है। तो यह एक प्रकार का सिग्नल होता है
  • जड़ें पौधो को सहारा देती है जल तथा खनिजों को अवशोषित करती है और ह्यूमस उपलब्ध करवाती है

सब्जियां / The vegetables

  • सब्जियां अधिकतर सब्जियां पौधो के फूल होती है और कुछ सब्जियां पौधो का फल भी होती है |
  • हरी मिर्च टमाटर आलू आया - साउथ अमेरिका से ।
  • गोभी और मटर - यूरोप से आई
  • कॉफी और भिंडी - अफ्रीका से आई
  • सोयाबीन - चीन से आई

केंचुए / Earthworm -

  • केंचुए जमीन में छेद बनाकर मिट्टी को मुलायम कर देते हैं |
  • जमीन को इन छेदो से हवा और पानी मिल जाता है |
  • केंचुए मृत पत्तियो और पौधों को खाते है और इनके मल से जमीन उपजाऊ बनती है |
  • केंचुए को किसानो का मित्र माना जाता है

झूम खेती / Jhoom farming

  • झूम खेती का तरीका बिलकुल अलग है। एक फ़सल कटने के बाद ज़मीन को कुछ साल तक ऐसे ही छोड़ देते हैं, उसमें खेती नहीं करते। इस जगह जो बांस या जंगल उग जाता है उसे उखाड़ते नहीं, बस गिराकर जला देते हैं। यह राख जमीन में खाद का काम करती है।
  • Jhoom farming method
  • जमीन को जलाते हुए आस-पास के पेड़ न जलें, जंगलों को नुकसान न पहँचे, इसका भी ध्यान रखना पड़ता है।
  • फिर जब इस ज़मीन में खेती की बारी आती है तो जमीन को जोता नहीं जाता। मिट्टी को हल्के से हिलाकर बीज छिड़क देते हैं।
  • एक ही खेत में अलग-अलग तरह के बीज-जैसे मकई, सब्जियाँ. मिर्च और चावल बोए जाते हैं।
  • फ़सल के समय भी अनचाही घास और पौधों को उखाडते नहीं हैं, उन्हें गिरा देते हैं। ताकि वे ज़मीन की मिट्टी में मिल जाएँ। इससे भी ज़मीन उपजाऊ बनती है।
  • मुख्य फ़सल चावल की ही होती है।
  • फ़सल पकने पर गाँव में सबसे बड़ा त्योहार मनाया जाता है। और 'चेराओ' नाच भी करते हैं। इस नाच में ज़मीन पर बाँस की डंडी लेकर दो-दो लोगों की जोड़ी आमने-सामने बैठती है। ढोल को ताल पर इंडियों को ज़मीन पर पीटते हैं। इंडियों के बीच लोग एक कतार में खड़े होकर कूदते हैं और नाचते हैं।
  • स्थानांतरित खेती या झूम खेती उत्तर-पूर्वी पर्वतीय तथा आदिवासी क्षेत्रों में की जाती है इसे जनजातीय कृषि भी कहा जाता है |
  • झूम खेती मिजोरम में होती है |
  • मिजोरम की मुख्य फसल चावल है |
  • मिजोरम में तीन चौथाई लोग जंगल में रहते हैं।
  • यहां खेती की लॉटरी निकाली जाती है जमीन को साझा मानकर सभी लोगों को बारी-बारी उस जमीन पर खेती करने का अवसर मिलता है |
  • मिजोरम में मिजो भाषा बोली जाती है |
  • मिजोरम में बांस के बर्तन बनाए जाते है |
  • जिस मैदान में एक टिन बीज बोए जाते है उसे एक टिन जमीन बोलते है |
  • कुडुक झारखंड की एक आदिवासी जनजाति है कुडुक भाषा में जंगल को तोरांग कहते है |
  • भारत के उत्तरी-पूर्वी क्षेत्रों में स्थानीय खेती करने का रिवाज है |
  • बेलवनिका गांव कर्नाटक में है।
  • जुलाई के महीने में प्याज उगाने का काम शुरू हो जाता है खूटी की मदद से खेत की मिट्टी को नरम किया जाता है |
  • समय पर प्याज ना काटी जाए तो वह जमीन के अंदर ही सड़ जाएगी |
  • खरपतवार कुछ पौधे बिना बोए खेतों में अपने आप उग जाते है जिन्हें खरपतवार कहते है इन्हें निकालना जरूरी होता है नहीं तो सारा खाद और पानी ये ही ले लेगी और फसल कम होगी  |
  • होलगुंडी गांव कर्नाटक में है बच्चों की पंचायत भीमा संघ होलगुंडी गांव में है |
  • कर्नाटक की भाषा कन्नड़ है |

उँधीयु / UNDHIYU –

  • सर्दियों में खेत में ही ताजी सब्जियों को मसालों के साथ एक मटके में भरते और उसको सीलबंद कर देते। कोयले के अंगारों में मटके को उल्टा रखकर सब्जी को पकाया जाता। इस पकी सब्जी को कहते हैं उँधीयु ' गुजराती में उँधीयु का मतलब है-उल्टा।
  • उँधीयु के साथ मिट्टी के चूल्हे में पकी बाजरे की रोटियों को खाया जाता है साथ में मक्खन, दही और छाछ भी ली जाती है |
  • गांधीधाम स्टेशन गुजरात में है |
  • गुजरात के प्रमुख खाद्य ढोकला, चटनी, नींबू वाले चावल तथा मिठाई है |
  • वनगांम गुजरात में है |
  • गांधीधाम अहमदाबाद में है |
  • वलसाड गुजरात में है |

अगर आपको ये क्लास अच्छी लगी हो तो एक कमेंट जरुर करें जिससे हमे प्रेरणा मिलती है और अच्छा काम करने की, धन्यवाद